जिन पेड़ों की छांव से, काला पड़े गुलाल
उनकी जड़ में बावरे, अब तो मठ्ठा डाल।
बिल्ली काटे रास्ता, गोरी नदी नहाय
चल खुसरो घर आपने, फागुन के दिन आय।
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