प्यारी सर्दी, तुमसे बात करने का मन तो बहुत था लेकिन, अब तुमने गले की ऐसी हालत कर रखी है कि मुंह से बोल ही नहीं निकल रहा है। जैसे-तैसे मुंह से एकाध शब्द निकल भी जाए पर अब खांसी ऐसी उठती है कि चिट्ठी लिखने पर ही मजबूर हुआ। सुबह होती है तो ऐसा लगता है ...
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