खुद को ज्यादा पढ़ा-लिखा लगाने वालों की यही प्रॉब्लम है। जरा सा हुंकारा भरने में इनकी जान निकलती है और 'ना' हर वक्त इनकी जुबान पर धरा रहता है। और तो और अब अन्ना को महात्मा-द्वितीय मानने पर भी इन्हें आपत्ति है। क्यों भाई क्यों? जब अगस्त क्रांति-द्वितीय ...
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