कुरसी की महिमा लिखूं, एकदन्त महाराज।
विघ्न-विनाशक देवता, पूरन कीजै काज।। चिर सुहागिनी रूपसी, वन्दौ तेरे पांव।
अन्त समय तक दीजिए, हमको अपनी छांव।। अधकचरे भी तर गए, तुम हो पालनहार।
आठ पहर सुमिरौं तुम्हें, करो तुरत उद्धार।।
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