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Channel: हास्य व्यंग्य
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कुरसी उवाच

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दण्ड-भेद को जो अपनावे, आसानी से मुझको पावे। कुछ को मैं चरणामृत देती, यह तो अपने घर की खेती।। दोष मुझे तुम कभी न देना, मुझको क्या है लेना-देना? जिसको भी स्वीकार किया है, उसका पूरा साथ दिया है।।

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